कॉलेज एक सर्पोद्यान!
कॉलेज एक सर्पोद्यान!
तुम्हारा सामान एवं डिग्री तुम कॉलेज आकर ले जाओ और हमारा होस्टल खाली करो ऐसा संदेश मिला।
तब एक खयाल आया कि,
कॉलेज ने आखिर हमें दिया क्या?
शुरूवात में कुछ अंजान लोग दिये,
होस्टेलमेट्स के रूप में,
कुछ अंत तक अंजान ही रहे, कुछ घुल मिल गए,
कुछ भाई, कुछ बहनें, कुछ यार, कुछ आशिक़,
कुछ दिल से तो कुछ जबरदस्ती दिए,
और दी - कई सारी भाभियां,
और इन्हीं के साथ दिए ढेर सारे सांप
कुछ पैसा खा के, कुछ पैसा चुरा के बैठे,
कुछ सांप बन कर साथ में घूमने लगे,
कई सांपों ने बार बार डसा, कभी पढ़ाई में, कभी selections में, तो कभी लड़की के चक्कर में,
कईयों ने सिर्फ डसना चाहा पर डस ना पाए,
कुछ सर्पों ने सर्पिणी के लिए बिल बदल दिया,
पर अंत में कटवाकर लौट आए, देर आये दुरुस्त आए।
कुछ professor दिए तो कुछ टीचर,
जिनमें से कई लोग गुरू बन गए,
पर ज्यादातर यहां भी सांप ही थे,
इन सांपो ने छात्र सांपों को बार बार डसा,
कभी assignment के नाम पे,
तो कभी internals के नाम पे,
कभी अपने पसंदीदा सांपों को गलत जवाब पे भी नंबर दिए,
तो जो नापसंद थे उन्हें दिया Backlog का ठुल्लू,
जब जरूरत थीं छात्रों को recommendations की, फिर चाहे जॉब के लिए हो या PhD या masters के लिए, ऐसा बरताव किया जैसे reco नहीं kidney ही मांगी हो,
I don't know you in research point of view बोल कर सीधे 0 कर दिए इनके अरमान, बावजूद इसके के इन्हीं बच्चो ने इन सांपो के लिए summer में और regular projects में अपने दिन और अपनी रातें काली की।
हर तरफ सांप ही सांप दिए, कुछ python दिए,
तो कुछ जकड़ कर जान लेनेवाले खतरनाक अजगर।
बदले में हमसे लिए हमारे प्रमुख यौवन के 4-5-6 साल,
हमसे लिये intercollege sports के कई medals,
Trophies, recognition, मेहनत - बिना पुरी सहायता के, हमसे ली उम्मीदें जो बिना साधन के भी जीतना जानती थी, हमसे ली हमारी राते, हमारे दिन जो हमने college के sports, science और cultural fests को बड़ा करने में जुटा दिए
और छीन ली हमारी कला, हमारा मंच, हमारा जहां, हमारी आखरी भेंट, convocation, farewell, पैसे एवम् सब कुछ!
हमसे लिए हमारे सपने, हमारे अपने,
हमारी सेहत, हमारी राहत, हमारी चाहत, हमारी मेहनत,
हर वो चीज जो हमें अपनी मंजिल तक ले जाने के लिए कैटेलिस्ट थी।
हम तब भी नहीं हारे और हम हार अब भी नहीं मानेंगे,
ऐसीही किसी सर्पोद्यान में जाएंगे फिर से नई उमंग लेकर
और करेंगे अपने सपनों को साकार करने के नाकाम कोशिश,
और फिर शायद practicality नाम के सांप के डसने का इंतेज़ार करेंगे और उसके डसने के बाद उसी जहर को अमृत मान कर प्राशन कर सपनों के साथ हक़ीक़त का समझौता।
अनाहूत
११ सितम्बर २०२०,
रात ११:५८
Comments
Post a Comment