शायर



...शायर


धोखे खाते है इस दौर में लोग उमूमन , देते देते,

दोस्ती की अफ़सुर्दगीने, दिलेर को पत्थर बना दिया।


बहोत ज़िंदादिली सिखी इस सफर में, ए-जिन्दगी 

हम ऐसे बुजदिल को तालाब से समन्दर बना दिया।


कलयुग की तो फितरत ही हैं शायद तबाही करना,

इक तू हैं जिसने उजड़े गांव को शहर बना दिया।


तेरा प्यार करने का तरीका बड़ा गुल-ए-तार हैं,

प्यार में तरसाके तूने अनाहूत को शायर बना दिया।


तेरी बातो को छुपाने लगा, क्यूंकि वादा था किया,

और इस लुकाछिपी ने मुझे कायर बना दिया।


हर कोई लब-तिश्नगी में खोया सा दिखने लगा था,

अजनबी की रूह-ए-तिश्नगी ने हमे फनकार बना दिया।


अक्सर मिट्टी, कंकड़, चूना, ईटो से मकान बनाते है लोग,

हमने अनुरेणु मे बसे उस शक्स को ही अपना घर बना दिया।


- अनाहूत 

अगस्त २५, २०२४

दोपहर: २:४६ 


Glossary (शब्दार्थ)

१. afsurdagii (अफ़सुर्दगी) = distress, dejection, depression, lowness of spirit, sadness, coldness

२. tishnagi-e-lab (तिश्नगी-ए-लब) = thirst of lips

३. गुल-ए-तार = Like a fresh flower 

४. उमूमन = प्रायः, बहुधा, अक्सर, साधारणत, आम तौर पर, often 

Comments

Popular Posts