तूफ़ान समाए रखा हैं।
मैने नकाब से अपना चेहरा छुपाए रखा है,
दिल में दर्द ओ गम को बसाए रखा हैं।
लोगो ने मेरा मुस्कुराता चेहरा देखा हैं अक्सर,
मैंने अपनी आंखों में तूफ़ान समाए रखा हैं।
जबसे तेरा आसपास दिखना है बंद हुआ,
मैंने जमाने से ख़ुद को छिपाए रखा हैं।
एक आखरी मुलाकात की गुंजाईश अब भी हैं,
मैंने तो यमराज को भी इसी इंतज़ार में रखा हैं।
लोग अक्सर सिर्फ़ फूल इकट्ठा करते हैं,
मैंने साथ बिताया हर पल संभाले रखा हैं।
मेरा कमरा अब बहोत भरा-भरा सा लगता हैं,
मैंने हर जगह तेरी तस्वीर को लगाए रखा हैं।
तेरे जाने से मेरा ज्यादा कुछ नहीं बदला,
बस दिल की जगह पीड़ा ने डेरा डाले रखा हैं।
अनाहूत तुझे सोचने में सारे दिन लगा देता है,
तुझे लिखने के लिए उसने रातों को बचाए रखा हैं।
मुमकिन नही था मंजिल तय करना राहगीर,
हमने भी तन्हाई को अपना यार बनाए रखा है।
✍️ अनाहूत
०२:२३
४ फ़रवरी २०२३
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