.... फिर से

... फिर से

बहुत बार लगा कि पीछे मुड़कर देख लू जिंदगी मे... 2
नई कोशिश कर, उन यादों में तेरे-बिना डूब-ने का मन ही नहीं किया…फिर से…

वही पुराने मोड़ पर, रुकता हूं दो पल, हमेशा की तरह ...2.
पूछ लेता हूँ दिल को क्या वो पुराना एक पल आएगा फिर से…

पहले तेरे कहे सिर्फ उन दो लफ्जोंसे सब ठीक हो जाता था …2
तेरा वो मुझे हौसला देना पसंद था बहुत, पर आज मैंने खुद ही खुद का हौसला बढ़ाया… फिर से…

अरे छोड़ कर गयी हैं तो क्या हुआ, चली जा तेरा इंतजार किस को है… 2
तेरे जाने के बाद अब जा के एहसास हुआ है माँ के प्यार का, जब उस की गोद में उसका लाडला आज चैन की नींद सोया…
फिर से…
- अनाहूत

(in this poem number 2 is written just to make it clear that the mentioned line is supposed to be read twice) 

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