गण्याचे श्लोक - १
आयुष्याच्या वाटेवरती
एकटेच मग चालत जावे
असलो जरी का अशक्त
मनाने कमजोर न व्हावे
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तुझे स्वप्न पाहत असतो मी रात्री
'तू'च भासतेस माझी सहयोगिणी!
हसणे तुझे हाचि आनंद माझा
नि लिहीणे तुला हीच दैनंदिनी!!
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मी कोण आहे कोणास ठाऊक
मी कोण असेन कोणास ठाऊक
परी असो जरी कोणीही मी
माझे अस्तित्व तुझ्याविना नोहेची जाण
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क्या ये कम नहीं के हम अब हम नहीं
बारिश मे भी आज-कल वो दम नहीं
हमे जिसने तबाह कर दिया क्या वो तुम नहीं?
छोड़ो इस बीती बात में अब दम नहीं
माना कि हमारे गुनाह भी कुछ कम नहीं
पर अब तो हमे भी अपनी बर्बादी का गम नहीं!
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हमे तो अपनोंने लूटा गैरो मे कहा दम था
पर सच कहूँ तो हमारा भी लूट जाने का मन था..
हम तो अकेले ही चले थे हल चलाने खेत मे
पर जो जमीन हमने चुनी थी उसका दिल ही बंजर था...
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आज जो तुम्हारा है शायद वो तुम्हारा है ही नही
अगर कुछ हासिल भी किया तो वो कमाल तेरे रब का है
खुद पर इतना गुमान कभी मत कर, मिट जायेगा
क्योंकि ये जो वक्त है वही असली बाप हम सब का हैं
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आज तेरा वक्त नहीं है तो क्या
तू वक्त का पाबंद भी तो नहीं हैं
अपने आप को कभी कम ना समझ
तू ही रचनाकार खुद के कल का हैं!
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-(सबकुछ) अनाहूत
एकटेच मग चालत जावे
असलो जरी का अशक्त
मनाने कमजोर न व्हावे
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तुझे स्वप्न पाहत असतो मी रात्री
'तू'च भासतेस माझी सहयोगिणी!
हसणे तुझे हाचि आनंद माझा
नि लिहीणे तुला हीच दैनंदिनी!!
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मी कोण आहे कोणास ठाऊक
मी कोण असेन कोणास ठाऊक
परी असो जरी कोणीही मी
माझे अस्तित्व तुझ्याविना नोहेची जाण
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क्या ये कम नहीं के हम अब हम नहीं
बारिश मे भी आज-कल वो दम नहीं
हमे जिसने तबाह कर दिया क्या वो तुम नहीं?
छोड़ो इस बीती बात में अब दम नहीं
माना कि हमारे गुनाह भी कुछ कम नहीं
पर अब तो हमे भी अपनी बर्बादी का गम नहीं!
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हमे तो अपनोंने लूटा गैरो मे कहा दम था
पर सच कहूँ तो हमारा भी लूट जाने का मन था..
हम तो अकेले ही चले थे हल चलाने खेत मे
पर जो जमीन हमने चुनी थी उसका दिल ही बंजर था...
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आज जो तुम्हारा है शायद वो तुम्हारा है ही नही
अगर कुछ हासिल भी किया तो वो कमाल तेरे रब का है
खुद पर इतना गुमान कभी मत कर, मिट जायेगा
क्योंकि ये जो वक्त है वही असली बाप हम सब का हैं
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आज तेरा वक्त नहीं है तो क्या
तू वक्त का पाबंद भी तो नहीं हैं
अपने आप को कभी कम ना समझ
तू ही रचनाकार खुद के कल का हैं!
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-(सबकुछ) अनाहूत
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